बनने और होने में अंतर

दिखावा शब्द सुनते ही हमें बड़ा अजीब सा महसूस होता है| हम सब यही चाहते हैं कि जो अन्दर हो वही बाहर हो अर्थात् बातों में बनावटीपन न हो, कोई दिखावा न हो, हमारे पहनावे से तो हम विरक्त और फ़कीर लगें परन्तु हममे उन भावों का अभाव हो, यह बिलकुल ठीक नहीं| कई बार […]

प्रेम

प्रेम की स्थिति, बड़ी ही ऊँची स्थिति है और अंतिम स्थिति है| प्रेम के आवेश में आ जाने पर मनुष्य की स्थिति दीवाने जैसी हो जाती  है, उसे प्रेमपात्र के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता| जिधर भी नज़र जाए अपने प्यारे की ही मूर्ति दिखाई पड़ती है, जैसा कि कहा गया – जिधर देखता […]