दिए हुए वचन को निभाने का फल

दिए हुए वचन को निभाने का फल यदि हमें यह विश्वास हो जाए कि दिए हुए वचन को निभाने की क्षमता हममे है, तो ही हमें किसी को वचन देना चाहिए, अन्यथा अगले व्यक्ति की दृष्टि में और हम अपनी खुद की दृष्टि में ही गिर जायेंगे| वचन निभाने का परिणाम भी बड़ा ही सुखद […]

अद्भुत रत्नजड़ित स्वर्णपत्र

बनारस प्राचीन काल से ही विश्वनाथजी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| एक दिन वहां के पुजारी जी को स्वप्न आया कि तुम धर्मात्माओं की बैठक बुलाओ, और असली धर्मात्मा को यह स्वर्ण पत्र दे दो| पुजारी जी ने ढिंढोरा पिटवा दिया, जिससे सभी जो अपने आप को धर्मात्मा समझते थे या फिर वे जिन्हें […]

मानवता

मनुष्य का शरीर मिलने मात्र से हम मनुष्य, मानव या इंसान नहीं कहला सकते| कुछ विशेष गुणों की आवश्यकता होती है, जिनकी उपस्थिति के कारण हम मानव कहला सकते हैं| मानवता, मनुष्य का सबसे सुन्दर गुण है जिसकी उपस्थिति के कारण वह लोकप्रिय हो जाता है| वे गुण हैं–परोपकार की भावना, दूसरों की वस्तुओं को […]

प्रणाम क्यों करें

प्रणाम करना, नमस्कार करना, दंडवत प्रणाम करना इन सबका अपना बड़ा ही महत्व है| दूसरे लाभों को हम एक तरफ भी रखदें तो भी अपने अहंकार को हटाने का इससे अच्छा और कोई उपाय है ही नहीं| नत मस्तक होना, अभिवादन करना इससे चार चीजें बढ़ती हैं – आयु, विद्या, यश और बल| इससे कर्म […]

कर्म फल

हम  अपने बचपन से ही अपने course books की कविताओं के माध्यम से सुनते आ रहे हैं कि  फूलों से नित हँसना सीखो, भौरों से नित गाना, फल से लदी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना इत्यादि| इसी प्रकार हमें सूर्य से भी सीखना है कि  किस प्रकार वह लगातार चौबीस घंटे कर्म में लगा […]

रिलैक्सेशन (Relaxation) का महत्व

एक बार मैं एक गांव से होते हुए आगे बढा ।  गर्मियों का मौसम था सडक एक दम  सुन्सान थी जंगल भी करीब ही था। मेरी निगाह एक लकडी के गट्ठे वाले पर पडी । वह सिर पर  लकडी के  गट्ठे का बोझ  लिये सडक के किनारे पर  खडा था। उसे देख कर मुझे लगा कि शायद वह कुछ परेशान है  इसलिये मैने  अपनी गाडी रोक कर उससे पूछा  कि भाई क्या बात है इस धूप में क्यों खडे हो? बोला  “साह्ब चलते- चलते थक गया हूं  सोचा ! थोडा रुक  लूं फिर आगे अभी बहुत चलना है।” मैने  कहा भाई ! क्या इस तरह कभी किसी को आराम मिला है? देखो सामने कितना बडा बरगद का पेड है ! छांह में चलो ,थोडी देर आराम कर लो। मेरे पास पानी है पीकर अपनी प्यास भी बुझा लो तब आगे बढो।मेरी बात मानकर वह छांह में आकर खडा  हो गया। अब तो उसे देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई।  मैने  कहा भाई ! अपने सिर पर से बोझ तो उतारो! फिर थोडी देर बैठ कर आराम कर लो। क्या  कभी किसी को सिर पर से बोझ बिना उतारे  आराम मिला है? उसने मेरी बात मानकर अपने सिर पर से  लकडी के गट्ठे को उतारा और   आराम से बैठ गया। मैने पानी दिया पीकर  अत्यंत प्रसन्न हुआ। उसे देखकर मुझे एहसास  हुआ कि आज हम सब भी तो यही कर रहे हैं । बात तो हम रिलैक्स (Relax) होने यानी शान्ति पाने की […]