कर्मफल से कैसे बचें ?

“जो बोओगे सो काटोगे” ये कहावत तो अपने –अपने जीवन में सबने सुनी ही होगी| इसी कहावत पर मुझे एक संस्मरण याद आता है — एक माता जी थीं जो चलते – चलते राह में फूल बिखेरते हुए चली जा रहीं थीं, तो एक राहगीर ने देखा, उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा “माँ! आप ऐसा क्यों […]

NEGATIVE COMPARISION

आज ही मेरे whatsApp पर किसी मित्र ने एक audio lecture के कुछ अंश भेजा । lecture, किसी कालेज के Principal का था । उन्होने जो कहा वो मै आप सब से share करना चाहता हूं क्योंकि निज विकास में कैसी कैसी बाधायें आती हैं जानना आवश्यक है। वो यह बताना चाह रहे थे कि- […]

मानवता

आज मैं अपने ही बच्चों के साथ बैठी हुई थी | बातों बातों में एक ने कहा अरे! सुनो न माँ ! मुझे तो लगता है इस धरती पर मानवता तो है ही नहीं | मैंने पूछा,कि तुम्हें ऐसा क्यों लगा? तो श्याम ने कहा – आज ही मैंने देखा कि किसी ने बरैय्यों के […]

अनुशासन

एक दिन एक विद्यार्थी जो गर्मी की छुट्टियाँ बिताने मेरे घर आया हुआ था चूँकि मैं उसकी बुआ होने के साथ – साथ एक शिक्षिका भी हूँ तो उसके मन में जो-जो प्रश्न उठते उनको पूछा करता| एक दिन उसने पूछा कि अनुशासित होने का क्या तात्पर्य है? सभी यही कहते हैं कि जीवन में […]

उन्नति किसकी

आज मेरे बेटी की कुछ Friends मेरे घर पर आये, कुछ देर मैने भी उन सब से बात किया। आखिर मेरे पास उनसे बात करने का Topic ही क्या था! बस वही – बच्चों ! आगे क्या करना चाह रहे हो ? भविष्य का क्या प्लान बनाया है इत्यादि । उन के उत्तर कुछ इस […]

मधुर वाणी

मैं अपने घर के आँगन में बैठी हुई थी| मेरे पास कुछ बच्चे बैठे हुए थे| उनकी दृष्टि वहीं कुछ दूरी पर बैठे हुए पक्षियों पर पड़ी| कहने लगे (madam) मैडम देखिये न ये काले-काले पक्षी कौवे हैं न |मैंने कहा कि कला है तो कौवा ही हो ऐसा जरूरी नहीं| बच्चे पूछने लगे तो […]

श्रेष्ठ दान कैसे करें

व्यक्ति जितनी ही ऊँची श्रेणी का होगा उसका दान देने का तरीका उतना ही श्रेष्ठ होगा |आप सभी रहीम साहब को कवि  के नाम से तो जानते ही हैं ,परन्तु वे उच्च कोटि के संत थे |वे अपने दान देने के अनूठे तरीके के लिए प्रसिध्द थे |वे जब कभी किसी को दान देते थे […]

एक सोच का कमाल

कल एक भाई साहब आये और कहने लगे कि आप नकारात्मक सोच के बारे में बहुत कुछ लिखते हैं पर मै चाहता हूँ कि आप इसकी स्पष्ट व्याख्या करें| मैंने कहा भाई साहब ! आपके प्रश्न पूछने पर मुझे एक कहानी याद आ गयी और मै यह आशा करता हूँ कि यह कहानी “नकारात्मक सोच” पर अवश्य […]

सत्य का दर्शन– दिव्य नेत्र

एक अत्यंत मोहक प्राक्रतिक स्थल पर कुछ लोगप्राक्रतिक सौन्दर्य का आनंद ले रहे थे वहां एक कलाकार paintings का शौकीन अपने art से सम्बन्धी सब सामग्री लेकर आया और उसने वहां के प्राक्रतिक सौन्दर्य को अपनी कलाकारी से एक Canvas पर उतारना शुरू किया| थोड़ी ही देर में उसके इर्द – गिर्द कुछ लोग खड़े […]

सफल जीवन

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है|सारे बुध्धि जीवी, विचारक, पंडित एवं विद्वान यही समझाते हैं कि जीवन को सफल बनाओ| बात तो सही है क्यों कि ये मनुष्य का जीवन मिला है सफल तो होना ही चाहिए ! किन्तु सफलता की परिभाषा हम सब अलग – अलग तरीके से करते हैं और […]

लक्ष्य – भाग २

एक राज्य में एक बहुत ही धर्मात्मा एवं न्याय प्रिय राजा थे। वे इतने लोक प्रिय राजा थे कि प्रजा उसके दर्शन के लिये सदा उत्सुक रहती थी किंतु राजा के दर्शन आम लोगों के लिये सुगम एवं सुलभ नहीं होता। मंत्री ने राजा से निवेदन किया कि महाराज आप से आपकी प्रजा बहुत प्यार […]

लक्ष्य

कालेज के दिनों की बात है, मेरे साथ B.Sc. first year में “ आकाश” पढता था| पूरी क्लास में वो सबसे intelligent था| साथ के लड़के एवं लडकियां उस से कहीं notes मांगते तो कहीं कोई topic explain करने को कहते| वो तो तीनो main subjects ( Phy., Che., Maths ) का मास्टर ही था| […]

सफलता मन्त्र

हमने जीवन में जब  से स्वयं कोई  काम  करना आरंभ किया, तब  से   दो बातें उसमें हमेशा से शामिल होती रही हैं। एक- सफलता, दूसरी – असफलता। ये तो निश्चित है कि किसी भी काम को करने में  हम या तो सफल होंगे या असफल। किंतु   जीवन में  असफलताओं  को   हम बहुत हल्का (Light) नहीं ले सकते। क्योंकि जीवन और […]

पवित्र जीवन

          एक बार मै अपने पापा से बातें कर रहा था। उन्होंने बातों -बातों में पूछा कि – सबसे बडा भक्त कौन है? मैने कहा कि वो  जो  घंटों  पूजा  करता है ! उन्होंने कहा नहीं। फिर  मैने कहा – वो जो दिन- रात भगवान का नाम रटता है! उन्होंने कहा नहीं। फिर मैने कहा- वो जो जंगल मे बैठकर या एक पैर पर खडे  रहकर तपस्या करता  हो  या  नदी में आकण्ठ डूबकर तपस्या करता हो। उन्होंने फिर कहा नहीं। अब तो मैने कहा पापा! आप  ही बताइये। उन्होंने कहा – मै तुम को कई  साल  पहले  की  एक  घटना बताता हूं । बात उस जमाने की  है जब बाल विवाह  हुआ करते थे। एक शिक्षक थे, उनकी यह इच्छा  थी कि उनकी बेटी की विवाह किसी महान भक्त के साथ करें। किन्तु समस्या यह थी  कि ऐसे बालक को कैसे  और  कहां तलाश किया जाये? उन्हें  एक  तरकीब सूझी।  अगले दिन कक्षा  में  जाकर  कहा – बच्चों!  मेरी […]

मनुष्यता

           कुछ शब्द ऐसे  हैं जिनका प्रयोग लोग अक्सर करते हैं। जैसे- इन्सानियत, मानवता, मनुष्यता इत्यादि। इ न शब्दों पर विचार करें  तो  मन में सबसे पहला प्रश्न  यही आता है कि  मानव, इन्सान  या मनुष्य  कौन है ? क्या है?  कैसा है? यानी उस के गुण क्या हैं?। आज चूंकि  हम विज्ञान    के  युग  में जी रहे हैं इस कारण क्या, क्यों और कैसे? ये बडे ही अहम  प्रश्न हैं और जब तक  इन  प्रश्नों    का सटीक उत्तर न मिल जाये हम बात मान […]