पहले कर्तव्य फिर हक की बात करें

अक्सर यह देखने में आता है कि लोग ये भूल जाते हैं कि पहले हमें अपना कर्त्तव्य पूरा करना है, अधिकार और हक की बात तो बाद में आती है| इसी बात पर मुझे एक दृष्टांत याद आ रहा है| एक गाँव में एक मालगुजार था| उसके कई business थे| अनाज का भी अच्छा व्यापार […]

क्या तुम उसे देख पाए जो मैं ?

जब कभी भी कोई व्यक्ति हमें कोई दूर की चीज दिखाना चाहता है तो अक्सर हम उसे छोड़ इर्द गिर्द की चीजों को ही देख लेते हैं| जब निशाना लगाने की परीक्षा गुरु द्रोणाचार्य जी द्वारा ली गई थी तब अर्जुन को छोड़ बाकी सब को लक्ष्य को छोड़ आस–पास की सारी चीज़ें दिखाई दे […]

ईमानदारी अभी भी शेष है

लोग अक्सर सोचते हैं कि एक समय था जब लोग ईमानदार हुआ करते थे| अब तो लोगों पर कलियुग का प्रभाव है| ईमानदार लोग तो मिलते ही नहीं| परन्तु ऐसी बात नहीं, भले ही उसका percentage घटा हो, परन्तु अभी भी ईमानदारी शेष है| इसी बात पर मुझे एक घटना याद आ रही है जो […]

आभूषणों की आवश्यकता क्यों

महाविद्यालय (college) में परीक्षाएं समाप्त हुईं, हॉस्टल की छात्राओं ने अपनी (warden madam) छात्रावास प्रबंधक महोदया जो मेरी friend हैं से request की कि अब छुट्टियों में हम सब अपने अपने घर चले जायेंगे, उसके पहले क्यों न हम सब मिलकर मॉल (mall) चलें? उन्होंने इज़ाज़त देदी| कुछ लड़कियों ने गले के हार लिए, कुछ […]

मंजिल पाना असंभव नहीं:

हम अक्सर प्रतिकूल परिस्थियों के कारण और कुछ प्रयासों के विफल हो जाने पर प्रयास करना छोड़ देते हैं| हम स्वयं को अपनी ही नकारात्मक सोच के बन्धनों में बाँध देते हैं और यह मानने लगते हैं कि हमारे प्रयास कभी सफल हो ही नहीं सकते|यह हमारी सोच के कारण ही होता हैं, पर जब […]