सफल जीवन

प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है|सारे बुध्धि जीवी, विचारक, पंडित एवं विद्वान यही समझाते हैं कि जीवन को सफल बनाओ| बात तो सही है क्यों कि ये मनुष्य का जीवन मिला है सफल तो होना ही चाहिए ! किन्तु सफलता की परिभाषा हम सब अलग – अलग तरीके से करते हैं और […]

लक्ष्य – भाग २

एक राज्य में एक बहुत ही धर्मात्मा एवं न्याय प्रिय राजा थे। वे इतने लोक प्रिय राजा थे कि प्रजा उसके दर्शन के लिये सदा उत्सुक रहती थी किंतु राजा के दर्शन आम लोगों के लिये सुगम एवं सुलभ नहीं होता। मंत्री ने राजा से निवेदन किया कि महाराज आप से आपकी प्रजा बहुत प्यार […]

लक्ष्य

कालेज के दिनों की बात है, मेरे साथ B.Sc. first year में “ आकाश” पढता था| पूरी क्लास में वो सबसे intelligent था| साथ के लड़के एवं लडकियां उस से कहीं notes मांगते तो कहीं कोई topic explain करने को कहते| वो तो तीनो main subjects ( Phy., Che., Maths ) का मास्टर ही था| […]

सफलता मन्त्र

हमने जीवन में जब  से स्वयं कोई  काम  करना आरंभ किया, तब  से   दो बातें उसमें हमेशा से शामिल होती रही हैं। एक- सफलता, दूसरी – असफलता। ये तो निश्चित है कि किसी भी काम को करने में  हम या तो सफल होंगे या असफल। किंतु   जीवन में  असफलताओं  को   हम बहुत हल्का (Light) नहीं ले सकते। क्योंकि जीवन और […]

पवित्र जीवन

          एक बार मै अपने पापा से बातें कर रहा था। उन्होंने बातों -बातों में पूछा कि – सबसे बडा भक्त कौन है? मैने कहा कि वो  जो  घंटों  पूजा  करता है ! उन्होंने कहा नहीं। फिर  मैने कहा – वो जो दिन- रात भगवान का नाम रटता है! उन्होंने कहा नहीं। फिर मैने कहा- वो जो जंगल मे बैठकर या एक पैर पर खडे  रहकर तपस्या करता  हो  या  नदी में आकण्ठ डूबकर तपस्या करता हो। उन्होंने फिर कहा नहीं। अब तो मैने कहा पापा! आप  ही बताइये। उन्होंने कहा – मै तुम को कई  साल  पहले  की  एक  घटना बताता हूं । बात उस जमाने की  है जब बाल विवाह  हुआ करते थे। एक शिक्षक थे, उनकी यह इच्छा  थी कि उनकी बेटी की विवाह किसी महान भक्त के साथ करें। किन्तु समस्या यह थी  कि ऐसे बालक को कैसे  और  कहां तलाश किया जाये? उन्हें  एक  तरकीब सूझी।  अगले दिन कक्षा  में  जाकर  कहा – बच्चों!  मेरी […]

मनुष्यता

           कुछ शब्द ऐसे  हैं जिनका प्रयोग लोग अक्सर करते हैं। जैसे- इन्सानियत, मानवता, मनुष्यता इत्यादि। इ न शब्दों पर विचार करें  तो  मन में सबसे पहला प्रश्न  यही आता है कि  मानव, इन्सान  या मनुष्य  कौन है ? क्या है?  कैसा है? यानी उस के गुण क्या हैं?। आज चूंकि  हम विज्ञान    के  युग  में जी रहे हैं इस कारण क्या, क्यों और कैसे? ये बडे ही अहम  प्रश्न हैं और जब तक  इन  प्रश्नों    का सटीक उत्तर न मिल जाये हम बात मान […]

दुख का कारण

>मैने एक श्रेष्ट महिला का प्रवचन (Lecture) सुना और  उनकी   बात     मुझे  बहुत    ही लोजिकल ( Logical ) लगी। वो यह कह रही थी कि-  यदि हम किसी से कुछ  रुपये उधार  इस वायदे  पर लें  कि आप का रुपया हम एक माह के बाद वापस कर देंगे। किन्तु   एक माह के बाद  जब हम दोनों एक दूसरे के  सामने आये  तो  स्वाभाविक रूप से  दोनों की   पोशाकें (Dress) , सजावट (Costume ) बदले हुए होंगे।  तो  क्या उधार देने वाला अपने  रुपये  वापस नही लेना चाहेगा? जरूर लेना […]

विचारों का प्रभाव

मै एक रेलगाडी की प्रतीक्षा में प्लेटफॉम पर टहल रहा था कि एक पॉम्पलेट (Pamphlet) पर नजर पडी। उस पर लिखा था “जो जैसा सोचता है,वैसा करता है,और वैसा ही बनता है।” मेरा मन इस पंक्ति को पढकर उसमें उलझ  गया। थोडा आगे बढा तो एक  पुस्तकों के ठेले पर  बहुत सी किताबें  दिखी। एक पुस्तक पर लिखा था “THINK AND GROW RICH”  मैने सोचा कि ये तो वही बात हो गयी जिसमें मेरा मन पहले से ही अटका हुआ है। मैं इस पुस्तक को खरीदने का विचार कर ही रहा था कि गाडी आ गई और मैं बिना पुस्तक लिये ही गाडी मैं बैठ गया किन्तु मेरा मन पॉम्पलेट (Pamphlet) की पंक्तियों एवं पुस्तक के नाम में उलझ गया। मनन करते -करते एक बात मेरी यह समझ में आयी कि दोनो बातों का आधार ” विचार ” है। और  ऐसा लगता  है कि सारे  संसार  का आधार भी  ” विचार ” ही  है। विज्ञान  के सारे चमत्कारों  की जड भी  एक  ” विचार ” ही तो  है। क्योंकि किसी भी काम को  करने के पहले उस विषय में विचार करना होता है। आज लगभग सभी विद्यार्थी अपने कैरियर  के बारे में बहुत सोच – विचार करते  हैं तब अपने निर्णय के अनुसार उस दिशा में कडी मेहनत करते हैं। इस तरह से   उस […]

समय की कमी

मैं एक दिन टी.वी. पर क्रिकेट मैच देख रहा था। एक गेंदबाज की गेंद पर टिप्पणी करते हुए कामेन्टेटर (commentator) )  बोला ” गेंदबाज की इस गेंद में कोई दम नही था लेकिन  बल्लेबाज ने एक रन चुरा लिया”। कमेन्ट्री (Commentary)   की यह पंक्ति मेरे दिल पर कुछ  अलग ही असर  कर गयी। मैंने सोचा वास्तव मे जिन्दगी में कोई दम नहीं  है  लोकिन हंसी, खुशी के  पल उस बल्लेबाज की तरह चुराना पडेगा  नहीं तो जीवन नीरस हो जायेगा। आजकल तो जीवन जीने का ढंग ही बदल गया है। यदि कमी है तो केवल समय की। करना  तो  बहुत कुछ चाहते  हैं किन्तु समय नहीं मिलता। हमारी रुचियां  ( hobbies  ) हमारी इच्छायें सब दरकिनार हो जाते हैं बस समय  की कमी। हम एक मशीन की तरह हो गये हैं । अपनी आवश्कताओं और सुख की तलाश में हम दिन- रात एक कर देते हैं। सामान्यतः हम अपनी रुचियों ( hobbies  )  या अध्यात्म की साधना के लिये फुरसत का समय  चाह्ते हैं किन्तु इसके मिलने की कोई सम्भावना  नहीं  रहती इस कारण कोई कहता है कि नौकरी से सेवानिवृत्त (Retire) होने के बाद  केवल ईश्वर की आराधना ही करुंगा। कोई कहता है कि अपनी रुचियों ( hobbies  )  के लिये तो सेवानिवृत्ति (Retirement ) के बाद ही समय मिल पायेगा। कोई ये सोचता है कि बच्चों की शादी कर दूं  फिर समय ही समय मिलेगा। लोकिन अपने सोचने से क्या होता है?  ” न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाये” […]

आदतों का प्रभाव

एक बार मै अपने मार्गदर्शक के दर्शन को गया।उन्हें प्रणाम्  करने के बाद मैं उनके पास बैठ गया। कुशल क्षेम पूछ्ने के  बाद उन्होने कहा कि दो सहेलियां थीं उनमे से एक  मछ्ली और दूसरी फूल बेचती थी। मछ्ली बेचने वाली का घर दूर था और फूल बेचने वाली पास ही रहती थी। एक बार बाजार में रात अधिक हो गयी इस कारण  मछ्ली वाली फूल वाली के घर पर रुक गई। फूल वाली  का घर फूलों की सुगंध से भरा हुआ था।मछ्ली बेचने वाली  को इस सुगंध के कारण नींद नहीं आ रही थी।जब अधिक परेशान हुई तो उठकर  मछ्ली की टोकनी से वो कपडा उठा लाई जिसमें मछलियां रख  कर लाई थी और अपने चेहरे पर ओढकर  चैन से सो गई। आगे उन्होने कहा कि  ठीक इसी तरह जब हमारी आद्तें  बुरी हो जाती हैं तो हमें वो ही  अच्छी लगने लगती हैं और हम बुरे काम करते रह्ते हैं पर हमें उस बुराई का एहसास  नहीं होता। उनकी इस  शिक्षाप्रद कहनी को सुन कर मैं इस पर मनन करने लगा और तब मुझे एक अंग्रेजी की कहावत याद आई  “habit is the second […]