Poem: Mrityudand – Shreeram Iyer

Poem: Mrityudand – Shreeram Iyer – UMantra [अभिभावक] हाय ! भाग्य में ही आया; क्यों मेरे यह मृत्युदंड || सूखता है कंठ मेरा; जब सुना हैं मृत्युदंड| काश काँपते हाथ मेरे; जब किया था मैंने कर्म || न सुनी थी उसकी विनती हाथ जोड़े जब खडा था| ले लिए थे प्राण उसके; परिणाम न किंचित […]