दिए हुए वचन को निभाने का फल

दिए हुए वचन को निभाने का फल यदि हमें यह विश्वास हो जाए कि दिए हुए वचन को निभाने की क्षमता हममे है, तो ही हमें किसी को वचन देना चाहिए, अन्यथा अगले व्यक्ति की दृष्टि में और हम अपनी खुद की दृष्टि में ही गिर जायेंगे| वचन निभाने का परिणाम भी बड़ा ही सुखद […]

अद्भुत रत्नजड़ित स्वर्णपत्र

बनारस प्राचीन काल से ही विश्वनाथजी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है| एक दिन वहां के पुजारी जी को स्वप्न आया कि तुम धर्मात्माओं की बैठक बुलाओ, और असली धर्मात्मा को यह स्वर्ण पत्र दे दो| पुजारी जी ने ढिंढोरा पिटवा दिया, जिससे सभी जो अपने आप को धर्मात्मा समझते थे या फिर वे जिन्हें […]

मानवता

मनुष्य का शरीर मिलने मात्र से हम मनुष्य, मानव या इंसान नहीं कहला सकते| कुछ विशेष गुणों की आवश्यकता होती है, जिनकी उपस्थिति के कारण हम मानव कहला सकते हैं| मानवता, मनुष्य का सबसे सुन्दर गुण है जिसकी उपस्थिति के कारण वह लोकप्रिय हो जाता है| वे गुण हैं–परोपकार की भावना, दूसरों की वस्तुओं को […]

आत्मविश्वास

व्यक्ति के अन्दर आत्मविश्वास होना बहुत ही आवश्यक है,आत्मविश्वास ही है जो मनुष्य को कठिन से कठिन परिस्तिथियों से भी बाहर निकाल देता है, इसी बात पर मुझे एक story याद आ रही है जो में आपको सुनना चाहता हु.. एक बार एक व्यवसायी पूरी तरह से कर्ज से डूब गया था और उसका व्यवसाय […]

Poem: Mrityudand – Shreeram Iyer

Poem: Mrityudand – Shreeram Iyer – UMantra [अभिभावक] हाय ! भाग्य में ही आया; क्यों मेरे यह मृत्युदंड || सूखता है कंठ मेरा; जब सुना हैं मृत्युदंड| काश काँपते हाथ मेरे; जब किया था मैंने कर्म || न सुनी थी उसकी विनती हाथ जोड़े जब खडा था| ले लिए थे प्राण उसके; परिणाम न किंचित […]

कर्म फल

हम  अपने बचपन से ही अपने course books की कविताओं के माध्यम से सुनते आ रहे हैं कि  फूलों से नित हँसना सीखो, भौरों से नित गाना, फल से लदी डालियों से नित सीखो शीश झुकाना इत्यादि| इसी प्रकार हमें सूर्य से भी सीखना है कि  किस प्रकार वह लगातार चौबीस घंटे कर्म में लगा […]