खुश रहने का राज़

अपने जीवन में हर कोई ख़ुश रहना चाहता है,परन्तु खुश रह नही पाता| कोई न कोई दुःख आ ही जाता है, तो हम अपने जीवन में खुश कैसे रहें, इस बात से मुझे एक story याद आ रही है|
एक समय की बात है, एक गाँव में महान गुरु रहते थे| सभी लोग उनके पास अपनी कठिनइयां लेकर आते थे और गुरु उनका मार्गदर्शन करते थे| एक दिन एक व्यक्ति, गुरु के पास आया और गुरु से एक प्रश्न पूछा “गुरुदेव मैं यह जानना चाहता हूँ कि हमेशा खुश रहने का राज़ क्या है (What is the Secret of Happiness)?” गुरु ने उससे कहा कि तुम मेरे साथ जंगल में चलो, मैं तुम्हे खुश रहने का राज़ बताता हूँ|
ऐसा कहकर गुरु और वह व्यक्ति जंगल की तरफ चलने लगे| रास्ते में गुरु ने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और उस व्यक्ति को कह दिया कि इसे पकड़ो और चलो| उस व्यक्ति ने पत्थर को उठाया और वह गुरु के साथ साथ जंगल की तरफ चलने लगा|
कुछ समय बाद उस व्यक्ति के हाथ में दर्द होने लगा लेकिन वह चुप रहा और चलता रहा| लेकिन जब चलते हुए बहुत समय बीत गया और उस व्यक्ति से दर्द सहा नहीं गया तो उसने गुरु से कहा कि उसे दर्द हो रहा है| तो गुरु ने कहा कि इस पत्थर को नीचे रख दो| पत्थर को नीचे रखने पर उस व्यक्ति को बड़ी राहत महसूस हुयी| गुरु ने कहा – “यही है खुश रहने का राज़ (Secret of Happiness)”| व्यक्ति ने कहा – गुरुवर मैं समझा नहीं|
तो गुरु ने कहा- जिस तरह इस पत्थर को एक मिनट तक हाथ में रखने पर थोडा सा दर्द होता है और इसे ही एक घंटे तक हाथ में रखें तो थोडा और ज्यादा दर्द होता है और अगर इसे और ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे तो दर्द बढ़ता जायेगा उसी तरह दुखों के बोझ को जितने ज्यादा समय तक उठाये रखेंगे उतने ही ज्यादा हम दु:खी और निराश रहेंगे| यह हम पर निर्भर करता है कि हम दुखों के बोझ को एक मिनट तक उठाये रखते है या उसे जिंदगी भर| अगर तुम खुश रहना चाहते हो तो दु:ख रुपी पत्थर को जल्दी से जल्दी नीचे उतार देना चाहते हैं|
इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि, दुःख तो हमारे जीवन में दिन –प्रतिदिन, कभी छोटे कभी बड़े आते ही रहते हैं, हमें उनपर कम से कम ध्यान देते हुए ऐसे ही आगे बढ़ जाना है, जैसे एक राह का राहगीर उसे मिलने वाले वृक्षों और अन्य राहगीरों की ओर बिना ध्यान दिए आगे बढ़ जाता है |

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