मार्ग दर्शक

कई वर्ष पूर्व जब मैं पहली बार अपनी बेटी के पास अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया गई थी, तो उस वक्त मुझे, मेरे और रिश्तेदारों से भी मिलने की इच्छा थी| वहाँ बेटी के घर से करीब ३० मील की दूरी पर मेरी भतीजी भी रहती थी, जिसने कुछ समय पूर्व ही अपना नया घर लिया था,सो बेटी ने कहा मैं अब तक उनके नए घर में नहीं गई हूँ माँ| मैंने तुरंत पूछा कि फिर हम जायेंगे कैसे? मार्ग कौन बतायेगा? वह बोली अरे माँ! अपनी car में GPS है न! address feed कर दूँगी और वो हमें रास्ता बताता जायेगा और हम पहुँच जायेंगे| सुनकर बड़ा अजीब सा लगा| मैंने कहा मेरे तो समझ में नहीं आया कि ये जीपीएस क्या है| मतलब (ग्लोबल पोजीशन सिस्टम ) global position system इस सिस्टम में कार इस मशीन द्वारा कृत्रिम उपग्रह से अपना सम्बन्ध स्थापित कर लेता है| उपग्रह के पास पृथ्वी के सारे शहरों, जगहों के यातायात सम्बन्धी मानचित्र (maps)और उससे जुडी हुई सूचनाएं रहती हैं |जैसे ही कार का सम्बन्ध उस सिस्टम से हो जाता है तो उपग्रह को पता चल जाता है कि कार कहाँ खडी है| कार चलती जा रही थी और उसमे से थोड़ी –थोड़ी देर में instructions सुनाई पड़ते |१/४ मील के बाद right मुड़ें ,२ मील जाकर लेफ्ट मुड़ें ,कार की स्पीड कम करें, मुझे बड़ा ही आनंद, मज़ा आ रहा था, क्योंकि ये पहला अनुभव था और घर तक पहुँचते ही बता दिया कि “आपका गंतव्य (DESTINATION )आ गया|
ये गंतव्य हर प्राणी का (fixed)तय है| जैसे गर्मी के मौसम में समुद्र नदियों नालों का पानी भाप बनकर उड़ता है और फिर बादलों के रूप में आकाश में इकठ्ठा हो जाता है |फिर अनुकूलता पाकर ये बादल पानी के रूप में बरसते हैं, और यह पानी पृथ्वी पर पहुँचता है|
पानी की ” बूँद” जो समुद्र से निकली, बादल बनी, फिर पानी के रूप में धरती पर आई,
वह पानी की बूँद यही चाहती है कि मैं उस समुद्र से फिर मिल जाऊँ| यही इस बूँद का गंतव्य है| परन्तु कई बार यह बूँद नदी,नाले, तालाब में न गिरकर और कहीं गिर जाती है, और दिशाहीन हो जाती है और भटक जाती है | वह अपने पूर्ण से मिलने के लिए बहुत बेचैन रहती है| पता नहीं कि उसे फिर अपनें पूर्ण से मिलने में कितना समय लग जाए और कब वह अवसर आये |
एकदम यही स्थिति एक जीव की भी है | वह उस सर्वा शक्तिमान का अंश है और अपनी यात्रा समाप्त करके वापस अपने अंशी में ही मिलना चाहता है| परन्तु उस पानी के बूँद की तरह ही इसकी भी स्थिति है| यदि सही रास्ता बताने वाला पथ प्रदर्शक मिल जाए,और उसपर हम पूर्ण विश्वास ला सकें कि यह जो बता रहा है वह रास्ता,वह तरीका तो सही है, और पूर्ण विश्वास के साथ, उसी पद्धति से, उसी तरीके से, उसी पथ पर, नियम से चलें तो कोई संशय नहीं कि हम अपने डेस्टिनेशन तक पहुंचेंगे या नहीं| जिसे हमने अपना पथ-प्रदर्शक,मार्गदर्शक या गाइड बनाया है उस पर हमें सम्पूर्ण श्रद्धा विश्वास लाना होगा,संपूर्ण समर्पित भाव लाने होंगे,वही आपको पूर्ण फल देगा|
जिस प्रकार एक हवाई जहाज का संपर्क जब तक सिस्टम से जुडा रहता है ,तो वह अपने गंतव्य को ठीक से पहुँच जाता है,चाहे उसे सात समुद्र पार ही क्यों न जाना हो|
परन्तु यदि हवाई जहाज का संपर्क अपने सिस्टम से टूट गया तो प्लेन crash हो जायेगा क्योंकि मार्ग बतानेवाले, मार्ग दर्शक यन्त्र से संपर्क टूट गया| इसलिए यह आवश्यक है कि अंश को अंशी से मिलने के लिए भी मार्ग दर्शक की आवश्यकता है, बिना उसके यह यात्रा भी असंभव है|

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