प्रेम

प्रेम की स्थिति, बड़ी ही ऊँची स्थिति है और अंतिम स्थिति है| प्रेम के आवेश में आ जाने पर मनुष्य की स्थिति दीवाने जैसी हो जाती  है, उसे प्रेमपात्र के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता| जिधर भी नज़र जाए अपने प्यारे की ही मूर्ति दिखाई पड़ती है, जैसा कि कहा गया – जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है,कि हर शै में जलवा तेरा रूबरू है |

मैं सुनता हूँ  हर वक़्त तेरी कहानी , कि तेरा जिक्र हो रहा कू –ब –कू है |

दरख्तों  पे  बैठी   कहती है    कुमरी ,  तू ही एक तू है ,  तू ही एक तू है ||

इस स्थिति में व्यक्ति को सही दिशा,  सही मार्ग दर्शक न मिले तो वह पथ-भ्रष्ट भी हो सकता है| इसी बात पर मुझे एक दृष्टांत याद आ रहा है|

एक महात्माजी अपने कुछ शिष्यों के साथ एक टीले पर बैठे हुए थे| नीचे एक मेला लगा हुआ था| उनकी निगाह एक ऐसे युवक पर पड़ी जो एक युवती के सिर पर छाता लगाये हुए उल्टा चल रहा थे|  वे समझ गए  कि  ये तो बड़ा ही प्रेममय  हृदय वाला व्यक्ति है, कैसे सेवा में लगा हुआ है, उन्होंने संकेत से बताकर अपने शिष्य को दौड़ाया कि उस व्यक्ति को बुला लाओ| वह आ गया| महात्माजी ने उसके मन की दिशा बदल दी, इससे ये हुआ कि उसका मन  उसी रफ़्तार से सही दिशा में चलने लगा| चरणों में गिर पड़ा और बोला, मैं अब तक बहुत  गलतियाँ करता रहा मुझे क्षमा करें, उन्होंने कहा कि अब आगे गल्ती  repeat मत करना| आगे चलकर वह धनुर्दास के नाम से प्रसिद्ध  हुआ|

एक और दृष्टांत मुझे याद आ रहा है| एक बार की बात है, एक गड़रिया प्रेम की ऐसी स्थिति में पहुँच गया कि वह अपने ही खुदा से बातें करने लगा |उसके मुख पर प्रसन्नता थी पर यह भी  होश नहीं था कि हज़रत मूसा  वहां पहुंचे और चुपके से उसकी बातें सुनने लगे|

वह कह रहा था –या खुदा! मेरा सर्वस्व तेरे अर्पण है|  तू अगर भूखा है तो मेरी सारी भेड़ों का दूध पी ले| अगर ठण्ड लग रही हो तो मेरा कम्बल ओढ़ ले, तू थक गया हो तो तेरे हाथ पैर दबा दूँ, और भी कोई तकलीफ हो तो बता दे उसे भी दूर करने का उपाय करूँ|  तेरे किसी भी  कष्ट के लिए मेरी जान न्यौछावर है| मेरे पास जो कुछ भी है वह तेरी ही है, तू उसको भोग और सुखी रह|

प्रेमी अपनी  भावना और बुद्धि के अनुसार ही अपने प्रेम पात्र को देखता है, और मनुष्य की तरह उससे वार्तालाप करता है|

ऐसी ही स्थिति मीरा बाई की भी थी| तभी तो वह कहती हैं कि, ए री मैं तो प्रेम दीवानी, मेरा दर्द न जाने कोय| परमात्मा हमें प्रेम मय हृदय देकर ,उन्नति के पथ पर अग्रसर करे|

आपको यहाँ लेख कैसा लगा? हमे अपने विचार नीचे comment box के माधयम से बताएँ।

Contributor
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *