रिलैक्सेशन (Relaxation) का महत्व

एक बार मैं एक गांव से होते हुए आगे बढा ।  गर्मियों का मौसम था सडक एक दम  सुन्सान थी जंगल भी करीब ही था। मेरी निगाह एक लकडी के गट्ठे वाले पर पडी । वह सिर पर  लकडी के  गट्ठे का बोझ  लिये सडक के किनारे पर  खडा था। उसे देख कर मुझे लगा कि शायद वह कुछ परेशान है  इसलिये मैने  अपनी गाडी रोक कर उससे पूछा  कि भाई क्या बात है इस धूप में क्यों खडे हो? बोला  “साह्ब चलते- चलते थक गया हूं  सोचा ! थोडा रुक  लूं फिर आगे अभी बहुत चलना है।” मैने  कहा भाई ! क्या इस तरह कभी किसी को आराम मिला है? देखो सामने कितना बडा बरगद का पेड है ! छांह में चलो ,थोडी देर आराम कर लो। मेरे पास पानी है पीकर अपनी प्यास भी बुझा लो तब आगे बढो।मेरी बात मानकर वह छांह में आकर खडा  हो गया। अब तो उसे देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई।  मैने  कहा भाई ! अपने सिर पर से बोझ तो उतारो! फिर थोडी देर बैठ कर आराम कर लो। क्या  कभी किसी को सिर पर से बोझ बिना उतारे  आराम मिला है? उसने मेरी बात मानकर अपने सिर पर से  लकडी के गट्ठे को उतारा और   आराम से बैठ गया। मैने पानी दिया पीकर  अत्यंत प्रसन्न हुआ।
उसे देखकर मुझे एहसास  हुआ कि आज हम सब भी तो यही कर रहे हैं । बात तो हम रिलैक्स (Relax) होने यानी शान्ति पाने की  करते हैं पर क्या कभी हमने अपने दिल दिमाग के बोझ को उतारकर विश्राम करने के विषय मे सोचा है? नहीं । तभी  तो हम  लगातार तनाव की स्थिति में रहकर शुगर एवं ब्लेड प्रेशर जैसे अनेक रोगों के शिकार हो रहे हैं।
वास्तव में हम  तनाव – मुक्त (Tension free ) या रिलैक्स (Relax) तभी हो सकते हैं जब लकडी के गट्ठे वाले की तरह सिर पर से  बोझ   को उतार कर  थोडी देर  आराम करें। शान्ति की चर्चा से  या नशा करने से  हम  तनाव – मुक्त (Tension free ) नहीं हो सकते  बल्कि  हमे शान्ति की अवस्था में जाना पडेगा। मेरे मार्ग दर्शक कहते हैं कि – “शान्ति सिद्धान्त नहीं बल्कि एक स्थिति है अतः    सुबह -शाम थोडी  देर अपने मन से  विचारों के बोझ  को उतार कर  अलग कर दो  तभी हम वास्तव में रिलैक्स (Relax) और तनाव – मुक्त (Tension free ) हो सकते हैं।” किन्तु  कोई भी अपने मन से  विचारों के बोझ  को उतार कर सहजता से  अलग कर नहीं सकता । यह एक प्रक्रिया है  जो हमें किसी महान् मार्ग दर्शक के सानिध्य से प्राप्त होगा जो मानव  मात्र की उन्नति के लिये परम आवश्यक है क्योंकि अशान्त मनुष्य, जिसका कि मन  थका हो वह उन्नती के  मार्ग पर कैसे  चल सकेगा?

Contributor
Facebook
Twitter
LinkedIn

0 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *