NEGATIVE COMPARISION

आज ही मेरे whatsApp पर किसी मित्र ने एक audio lecture के कुछ

अंश भेजा । lecture, किसी कालेज के Principal का था । उन्होने जो कहा वो मै

आप सब से share करना चाहता हूं क्योंकि निज विकास में कैसी कैसी बाधायें

आती हैं जानना आवश्यक है।

वो यह बताना चाह रहे थे कि- अक्सर घरों मे माता-पिता या बडे लोगों के

द्वारा negative comparison किये जाने पर बच्चों का विकास कैसे बाधित हो

जाता है। negative comparison का तात्पर्य यह है उन्होने कहा कि उनके college

में BA 2 nd year की एक छात्रा थी जिसका नाम था मंजुला । उसके दो – तीन

Lecturers ने Principal से complaint किया सर ! मंजुला के लिये कुछ करना

पडेगा। उसका मन पढने में लगता ही नहीं। Class में कुछ भी पूछो नहीं बनता ।

First Year जैसे तैसे पास हुई पर इस बार पास होना मुश्किल है । Principal कहा

उसे मेरे office में भेजो मै बात करूंगा । Principal ने पूछा मंजुला पढाई कैसे चल

रही है? सर ! इस बार Final Exam में अच्छे marks लाउंगी । मंजुला ! मै तुम्हारे

घर पर आना चाहता हूं । इस प्रकार Principal ने मंजुला से time fix कर उसके

घर पहुंचे। पानी पीते – पीते उनकी दृष्टि दीवार पर लगे Wall Hangings और

Paintings पडी जो कि सुन्दरता के लिये एक या दो नहीं थे बल्कि अनेक थे ।

उन Wall Hangings और Paintings की सुन्दरता देख कर Principal ने मंजुला

के पिताजी से पूछा कि ये किसने बनाये हैं ? सर ! मंजुला ने । इतने में मंजुला

चाय लेकर आयी। Principal सर बोले – मंजुला ! तुम्हारे Wall Hangings और

Paintings तो बहुत ही सुन्दर हैं। मंजुला बोली – सर एक मिनिट और अंदर से

एक बडी पेटी लेकर आयी, जिसमें कई Paintings थीं। किंतु Principal सर ने कहा

– मंजुला मै अभी कुछ नहीं देखूंगा, तुम Please कल सारी Wall Hangings और

Paintings College लेकर आवो और मेरे room में रख देना। इतने सारे तुम कैसे

ला सकोगी ये तुम जानो और ध्यान रहे कि कोई भी Painting घर पर छूटने न

पाये । अगले दिन मंजुला सारी Wall Hangings और Paintings लेकर College

गयी और Paintings के room में रख दिया । Principal ने अत्यंत गोपनीय तरीके

से इन सारी Wall Hangings और Paintings को Exhibition Hall में सजा कर

रखवा दिया और एक circular निकाला कि – B.A. 2 nd Year की छात्रा, कु. मंजुला के

Wall Hangings और Paintings का solo Exhibition दिन 11 बजे से Exhibition

Hall में रखा गया है। सभी शिक्षक एवं छात्र – छात्रायें अनिवार्य रूप से आकर

देखें । circular देख कर मंजुला तो आश्चर्य चकित थी ही और साथ ही सारे

lecturers भी। जब Exhibition का उद्घाटन हुआ तो lecturers और छात्र –

छात्रायें सब के सब देखते रह गये कि मंजुला इतनी बडी Artist है , पता ही नहीं

था ! Exhibition Hall में अब उसके lecturers उससे पूछ रहे थे –मंजुला ! ये

क्रोशिया का काम कैसे किया ? ये Paintings कैसे बनाते हैं, हमें भी सिखाओ ।

HERO बन गयी । उस समय उसका Confidence Level कहां पहुंच गया क्या आप

अंदाज लगा सकते हैं? इस समय मंजुला Stage पर थी तो बाकी सारे नीचे । और

जो Stage पर है वही HERO है ,और बाकी सब Followers .

बहुत अच्छे से पढ रही है । और वो Toper बन गयी। B.A. करने के बाद मंजुला

College छोड कर चली गयी। लगभग 10 साल के बाद एक दिन अचानक मंजुला

अपने Principal से मिलने आयी । Principal उसे देखते ही बहुत प्रसन्न हुए और

पूछे बेटी ! तुम आजकल कहां हो और क्या कर रही हो? मंजुला ने कहा – सर !

मै आपसे बहुत समय से मिलना चाहती थी किंतु आज भी मै केवल आधे दिन के

लिये ही यहां आ सकी हूं । मै Min. of H.R.D. में Deputy Secretary हूं ।

Principal बहुत प्रसन्न होकर पूछे कि तुम कैसे इस Heights पर पहुंची ? उसने

कहा सर ! मुझे जब पता चला कि मै Handy Crafts में अच्छा काम कर लेती हूं

तो मैने Diploma Courses किये और International Exhibition में प्रथम स्थान

मिला और मुझे England जाने का मौका मिला ।इस तरह मैने 70 देशों का दौरा

किया। France में रही और French सीखा ।

आप जानते हैं इसका असर क्या हुआ? एक duffer student अचानक

कुछ ही दिनों मे मंजुला की तारीफ सारे lecturers करने लगे कि वो

सर ! मेरे घर पर मुझे हमेशा मेरी बडी बहन से compare करते थे

कि उसके Marks देखो ! कितना अच्छा पढती है। तुम्हारे Marks कम क्यों आते

हैं? परिवार और रिश्तेदारों के तानों से मेरे Confidence की तो धज्जियां उड गयी

। मै भी ढीठ हो गयी कि नहीं पढना मुझे ! नहीं लाना अच्छे Marks मुझे । किंतु

मेरे जीवन का Turning Point वो था जब आप मेरे घर पर आये , मेरे Wall

Hangings और Paintings का solo Exhibition करवाया । इससे मेरा

आत्मविश्वास जागा और जो कुछ भी हूं आपकी कृपा से हूं । principal सर बोले

– बेटी इसमें गल्ती हम बडों की ही है। तुम्हारी उन्नति का दरवाजा हम लोग

खोज ही नहीं पाये ! और उस दरवाजे को भी हम गलत जगह खोज रहे थे ।

तुम्हारा Talent , Handy Crafts में था और हम लोग इतिहास, नागरिक शास्त्र मे

तुम्हारे उन्नति का दरवाजा खोज रहे थे । सच ! दरवाजा तो वहां था ही नहीं हम

तो दीवार ही पीट रहे थे ।

ये गल्ती अक्सर हम सभी से होती ही रहती है। हम Comparison

करते हैं किंतु हमारा Way Negative हो जाता है जिससे व्यक्ति उन्नति की बजाय

अवनति की गर्त में चला जाता है जहां से उसे निकालना अत्यंत कठिन हो जाता

है यानी व्यक्ति Depression का शिकार हो जाता है जहां उसकी उन्नति के सारे

रास्ते बंद हो जाते हैं । संसार में प्रत्येक व्यक्ति एक अच्छा Talent लेकर जन्म लेता है जिसे पहचानना और उसे पहचान कर उन्नति के मार्ग पर आगे बढाना Parents का कर्तव्य होता है ।

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