हमने जीवन में जब से स्वयं कोई काम करना आरंभ किया, तब से दो बातें उसमें हमेशा से शामिल होती रही हैं। एक- सफलता, दूसरी – असफलता। ये तो निश्चित है कि किसी भी काम को करने में हम या तो सफल होंगे या असफल। किंतु जीवन में असफलताओं को हम बहुत हल्का (Light) नहीं ले सकते। क्योंकि जीवन और समय दोनों ही अमूल्य हैं हम उसे व्यर्थ गंवा नहीं सकते। जीवन कोई फिल्म की कहानी तो है नहीं कि एक या दो बार गल्ती हो जाने पर रीटेक करके सुधार लिया जाये।
वास्तविक जीवन की अधिकतर परिस्थितियों में रीटेक का अवसर नहीं मिलता।अतः जो समय हाथ से निकल गया वह वापस नहीं आ सकता।फिर पश्चाताप करें भी तो कोई लाभ नहीं मिलने वाला। इस कारण समय के मूल्य को जानना बहुत ही आवश्यक है।
हमने स्कूल में “तीन काल” पढे हैं। वर्तमान काल, भूत काल और भविष्य काल। इन तीनों काल पर विचार करने पर ये लगता है कि भूत काल और भविष्य काल दोनों ही अनंत हैं।किन्तु वर्तमान काल सबसे छोटा और सबसे महत्वपूर्ण है।एक पल बीतते ही वह भूत काल बन जाता है और अगले पल क्या होगा ये कोई नहीं जानता। अतः हमारे हाथ में कर्म करने के लिये केवल वर्तमान का एक पल ही है जिसे हमें संवारना है। और जिसका यह पल संवर गया उसका भविष्य तो सुन्दर होगा ही। हम भविष्य को संवारने के लिये गम्भीर तो होते हैं किन्तु अक्सर एक गल्ती करते हैं कि हम योजनायें बहुत बनाते हैं और अमल कम करते हैं। यदि हम योजनायें बनाते रह जायें तो सच मानो कि हम वर्तमान खो रहे हैं और भविष्य खराब कर रहे हैं। लेकिन हां लक्ष्य का निर्धारण अत्यंत आवश्यक है। हमें यह जानना बहुत ही आवश्यक कि “हम क्या चाहते हैं”।और इस प्रकार जब एक बार लक्ष्य का निर्धारण हो जाये तो अपनी सम्पूर्ण शक्ति उसे पूरा करने में लगा दो। कहते हैं कि “मेहनत के आगे तो हिमालय भी झुकता है”। किन्तु यदि लक्ष्य का निर्धारण नहीं किया है तो जीवन फुटबाल का ऐसा खेल बन जायेगा जिसमें गेंद गोल की तरफ न जा कर अनेक लोगों की लातें खाते हुए पूरे मैदान में घूमती रहेगी और हम जीवन का यह महत्वपूर्ण खेल हार जायेंगे।
मेरी मुलाकात ऐसे कई सफल लोगों से हुई जिन्होंने यह कहा कि – जब हमने अपना क्षेत्र चुना और परिश्रम करना आरंभ किया तो लगता था कि यह काम हमारे बूते से बाहर का है। अथक परिश्रम किया और हम अपने लक्ष्य को कभी नहीं भूले साथ ही साथ हमने अपने मनोबल को भी कभी गिरने नहीं दिया और अंत मे सफलता ने हमारे कदम चूमे।
असफलता के पीछे एक ही बात समझ में आती है कि कहीं न कहीं हमारे मनोबल में कमी आ गयी। लगभग सभी के जीवन में विपरीत परिस्थितियां आती हैं किन्तु वीर वही हैं जो विपरीत परिस्थितियों का साहसपूर्ण स्वागत कर उस चुनौती का सामना करते हैं ।हमारी एक नकारात्मक सोच हमें अपने लक्ष्य से कोसों दूर ले जाती है। इस कारण इच्छा शक्ति, सही दिशा में मेहनत,आत्म-विश्वास, और मनोबल ही सफलता की कुन्जी है। और यही सफलता का मंत्र है।