एक बार मै अपने पापा से बातें कर रहा था। उन्होंने बातों -बातों में पूछा कि – सबसे बडा भक्त कौन है? मैने कहा कि वो जो घंटों पूजा करता है ! उन्होंने कहा नहीं। फिर मैने कहा – वो जो दिन- रात भगवान का नाम रटता है! उन्होंने कहा नहीं। फिर मैने कहा- वो जो जंगल मे बैठकर या एक पैर पर खडे रहकर तपस्या करता हो या नदी में आकण्ठ डूबकर तपस्या करता हो। उन्होंने फिर कहा नहीं। अब तो मैने कहा पापा! आप ही बताइये। उन्होंने कहा – मै तुम को कई साल पहले की एक घटना बताता हूं । बात उस जमाने की है जब बाल विवाह हुआ करते थे। एक शिक्षक थे, उनकी यह इच्छा थी कि उनकी बेटी की विवाह किसी महान भक्त के साथ करें। किन्तु समस्या यह थी कि ऐसे बालक को कैसे और कहां तलाश किया जाये? उन्हें एक तरकीब सूझी। अगले दिन कक्षा में जाकर कहा – बच्चों! मेरी बेटी का विवाह होने जा रहा है अतः तुम सब लोग अपने-अपने घर से कुछ न कुछ सामान लेकर आओ किन्तु ध्यान रहे कि घर में किसी को भी पता न चले। अगले दिन से बच्चे कुछ न कुछ सामान घर से चोरी करके लाने लगे और कुछ ही दिनो में कक्षा के लगभग सभी बच्चे घर से कुछ न कुछ सामान चोरी कर ले आये। शिक्षक ने जब रजिस्टर से मिलान किया तो पता चला कि एक विद्यार्थी कुछ भी नहीं लाया। उससे पूछ्ने पर उसने कहा – कल ले आऊंगा किन्तु बार-बार बोलने पर भी वह लाता नहीं था। एक दिन फिर शिक्षक ने एक अलग कमरे में बुला कर उससे पूछा कि तुम सच बताओ कि तुम कुछ भी सामान क्यों नहीं लाते ? उसने कहा – गुरूजी! मैंने बहुत कोशिश किया कि कोई सामान चुरा कर लाऊं लेकिन मैं जब – जब भी चोरी करने के उद्देश्य से कुछ उठाने जाता हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि मुझे कोई देख रहा है चाहे रात का सन्नाटा हो, सब सो रहे हों तब भी। अब गुरुजी! आप ही बतायें कि मै क्या करुं? गुरुजी ने कहा बच्चे! अब तुम कुछ नहीं लाना। परीक्षा पूर्ण हुई, मुझे जिसकी तलाश थी वो मिल गया और वो तुम हो। इतनी कथा सुना कर पापा ने पूछा पुत्र तुम्हारे क्या समझ में आया? मैने कहा- जो व्यक्ति ये जानता हो कि भगवान हर जगह मौजूद हैं और हमें देख रहे हैं तो वह कभी भी कोई गलत काम नहीं कर सकता। क्योंकि किसी भी गलत काम को करने वाला यही चाहता है कि उसे पाप करते हुए कोई न देखे। मेरे उत्तर पर मुझे शाबाशी मिली।
इसके बाद मैं इस बात पर पुनः सोचा तो ये लगा कि कोई भी बच्चा जब तक अपने माता-पिता के साथ होता है तो वो, न तो कोई गलती करता है और न ही उसे कोई चिन्ता होती है क्योंकि देख-भाल, सुरक्षा का भार तो माता-पिता पर होता है। फिर बच्चा कितना ही बडा हो जाये माता-पिता के प्यार,देख-भाल में कोई अंतर नहीं आता। वास्तव में किसी भी बच्चे के लिये उसके माता-पिता भगवान का ही रूप होते हैं। अतः किसी भी गलत काम को करने का मन में विचार आते ही यदि हम ऐसा खयाल करलें कि माता-पिता, गुरु या भगवान हमें देख रहे हैं वो हमारे साथ हैं तो ये सारा जीवन पवित्र हो जायेगा। फिर हम से कोई घृणित काम नहीं होगा और फिर जिसके साथ भगवान हो, उसके काम भी कभी बिगड नहीं सकते। यह एक विचार ही हमारे जीवन को शांति और आनंद से भर देगा।
शांति और आनंद से भरा पवित्र जीवन जीने का यह एक उत्तम उपाय है ऐसा मेरा विचार है।
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बहुत सुन्दर विचार हैं आपके एवं अच्छा लिखती हैं आप