सही रूप गढ़ना

हमें मानव शरीर मिला,इसके साथ-साथ उस सर्व शक्तिमान की कृपा, कि  उसने हमें बुद्धिजीवी बनाया, इसी बुद्धि की sharpness तीव्रता के कारण  ही अन्य प्राणियों से हम अलग हैं| अन्यथा वही सब कार्य तो हम भी कर रहे हैं खाना ,सोना,जागना और संतानोत्पत्ति| इसी प्रकार हम देखते हैं कि अपने न्यू borns को हम बड़ी हिफाज़त से पालते हैं और हर वक़्त उनका हाथ थामे रहना चाहते हैं कि  कहीं बच्चे से भूल कर भी कोई भूल न होजाए| यही कारण है कि  हम उनको हर वक़्त टोकते रहते हैं और सदा सलाह देते रहते हैं और दूसरे प्राणियों की तरह छुट्टा  नहीं छोड़ते हैं|

हमारी इस मानसिक स्थिति को हमारे बच्चे समझ नहीं पाते ,कि उनके माता –पिता पर कितनी बड़ी जिम्मेदारी है अपने बच्चों को अच्छे से अच्छे संस्कार देकर एक अच्छा  नागरिक बनाने के लिए उन्हें कितने sacrifices करने पड़ते हैं| लो जरा –जरा सी बात में रूठ गए, अपनी ही बात चलवानी है| पहले तो बच्चे माँ बाप की आँखों का लिहाज़ करते थे, आँखें देखकर समझ जाते थे कि  वे किसी काम की इज़ाज़त दे रहे हैं या नहीं|

अब बच्चे चाहते हैं हम parents, उनपर कोई अंकुश न लगायें, सिर्फ उनकी इच्छाएँ पूरी करते रहें,चाहे उनकी ख्वाहिश सही हो या गलत, पर पूरी हो|

इसी बात पर एक कहानी याद आ रही है| एक आदमी था,जिसका एक बेटा था| अभी समझदार नहीं हुआ था,पर चाहता था कि  जब- तब वह अपने मित्रों के साथ टाइम बे टाइम घूमता रहे| उसे कोई मना न करे| गाँव  में खेत की देखभाल वह आदमी खुद ही करता था|  बच्चे की पढाई के लिए ये लोग शहर में रहने लगे|

एक दिन पिता अपने पुत्र को अपने साथ खेत में  ले गया और कहा कि मैं यहीं बैठता हूँ तुम पूरे खेत में घूमकर सब कुछ अच्छे से observe करके आओ| बेटा गया और बहुत अच्छे से देख आया| पिताजी ने पूछा बेटा क्या देखा? वह बोला पापा सारे आम के वृक्ष तो बहुत अच्छे से फल रहे हैं और स्वस्थ भी हैं परन्तु,एक पेड़ ऐसा है जिसमे डालियाँ नीचे नीचे को लटक रही हैं, उसमे कीड़े भी लगे हुए हैं,उसपर प्रकाश भी ठीक से अन्दर तक नहीं जा रहा है| ऐसा क्यों पापा?

यह पौधा इस फसल का सबसे पहला पौधा था, जिससे मुझे बड़ा प्यारा था इसलिए, मैंने ज्यादा प्यार दुलार के कारण उसकी डालियों की काट छांट नहीं की ,इससे ये हुआ कि प्रकाश अन्दर तक न जा सका जिससे कीड़े भी लग गए|फल भी नहीं लगे|

इसलिए यह आवश्यक है कि समय पर सही स्वरुप आकार देने के लिए काट- छांट भी करे|

अर्थात् अपने इस लाडले को पथ-भ्रष्ट  होने से रोकने के लिए, वह सदा खुश रहे, सुखी रहे इसी बात से  चिंतित तुम्हारा पिता ये काट –छांट  कर रहा है न कि तुम्हारी आज़ादी में रुकावट डालने की किसी  इच्छा से| इस प्रकार कहते हुए पिता ने बड़े प्यार से पुत्र के कंधे पर हाथ रखकर उसकी और बड़ी ही स्नेह भरी निगाहों से देखा और घर लौटा| प्रत्येक बच्चा अपने माता पिता की इस मनो स्थिति को समझे इसी विश्वास के साथ …..

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0 Responses

  1. Mrs. Seshadri, thank you for sharing such great stories and experiences. It’s really inspiring. We would love to hear more from you. Thanks for the motivation & inspiration. These have the power to change someone’s life & thinking.

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