कभी-कभी ईश्वर की कृपा से किसी ऐसे व्यक्ति से मिलना हो जाता है कि हमारा मन कह उठता है कैसा सुन्दर व्यवहार है अमुक व्यक्ति का| उनका दिल इतना विशाल होता है कि उसे देखकर लगता है कि हमें भी इनके जैसा बनना है| ऐसे व्यक्तियों पर उस सर्वशक्तिमान की असीम कृपा होती है| यही कारण है कि उनके विचार इतने सुन्दर होते हैं| मेरे पूज्य ताउजी ने एक घटना सुनाई थी| उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति धनी हो तो ही वह उदार हो सकता है ऐसी बात नहीं| धन का दान देने से भी बढ़िया, उदारता है, जिसका अनुकरण हर कोई कर सकता है|
एक व्यक्ति को एक गाँव जाना था, लेकिन मार्ग पैदल का था| मार्ग में देर हो गई थी| उनके पास ओढने के लिए वस्त्र नहीं थे| जाड़े के दिन थे| सूर्य छुप गया, सर्दी पड़ने लगी, और गाँव अभी लगभग चार मील दूर था| उनने सोचा अब पहुँच पाना कठिन है तो, अब इसी गाँव में रुक जाऊं| गाँव छोटा सा ही था, उसमे कुछ कृषक लोग ही रहते थे| गाँव के किनारे एक छोटी सी झोपडी थी, उसमे एक आदमी आग जलाकर ताप रहा था| इस व्यक्ति ने उस कृषक से पूछा कि क्या मैं आज की रात आपकी झोपडी में बिता सकता हूँ| कृषक ने कहा हाँ अवश्य| हम दोनों रहेंगे तो समय अच्छे से व्यतीत हो जायेगा|
उन्होंने अपना झोला भीतर रख दिया और नीचे बैठने लगे तो कृषक ने कहा–आप चारपाई पर बैठिये और रात्रि को भी इसी पर आराम कीजियेगा| इस प्रकार कहकर वह कृषक पांच मिनिट के लिए बाहर गए और जब लौटकर आये तो साथ में एक लड़की थी, वह कहने लगी दादा! आपके यहाँ जो व्यक्ति ठहरे हैं उनके लिए मैं भोजन लाई हूँ, उन्होंने उससे भोजन लिया और सामने रख दिया, और कहा भोजन कीजिये| उस व्यक्ति ने कहा आप भी खाइए, कृषक कहने लगे – मैं अभी घर से खाना खाके ही आ रहा हूँ| उन्होंने भोजन किया| भोजन था तो एकदम सादा परन्तु इतना स्वादिष्ट कि भोजन करके जो आनंद आया ऐसा कभी न आया था| जैसे ही भोजन हो गया तो कृषक बोले आप आराम कीजिये मैं जरा खेत में घूम आता हूँ ,कहकर वे (कृषक) बाहर चले गए| उस व्यक्ति ने कहा – मैं गहरी नींद सो गया| प्रातःकाल जब मैं बाहर निकला तो देखा, वे (कृषक) आग जलाकर ताप रहे थे| मुझे बाद में पता चला कि जो भोजन लाया गया था वह भी उन्हीं के लिये था और जो चादर मैंने ओढ़ी थी वह भी उन्हीं के लिए थी, उन्होंने तो ताप – तापकर ही रात काट ली थी| कृषक के इस व्यवहार से वे अवाक् रह गए और सोचने लगे कि इतना साधारण सा दिखनेवाला सरल सहज स्वभाव वाला व्यक्ति कितना महान है, जिसने एक अनजान की खातिर सारी सात ठण्ड में काट दी| इससे अच्छा व्यवहार और क्या हो सकता है|