एक सोच का कमाल

कल एक भाई साहब आये और कहने लगे कि आप नकारात्मक सोच के बारे में बहुत कुछ लिखते हैं पर मै चाहता हूँ कि आप इसकी स्पष्ट व्याख्या करें| मैंने कहा भाई साहब ! आपके प्रश्न पूछने पर मुझे एक कहानी याद आ गयी और मै यह आशा करता हूँ कि यह कहानी “नकारात्मक सोच” पर अवश्य ही प्रकाश डालेगी|

एक बार एक देवता आकाश मार्ग से कहीं जा रहे थे कि अचानक उनका ध्यान एक आदमी पर गया जो अपनी ही पत्नी के हाथों से बुरी तरह पिट रहा था| उसे देख कर उन्हें दया आ गयी और सोचा इसकी रक्षा करनी चाहिए और वो तत्काल भूमि पर आये और थोड़ी दूर खड़े होकर उसके पत्नी के अन्दर जाने की प्रतीक्षा करने लगे| जब पत्नी अन्दर चली गयी तो देवता उससे मिलकर बोले – भाई तुम्हारी यह दशा देख कर मुझे बहुत दया आ रही है| मै तुमको इस कष्ट से बचा सकता हूँ| उसने पूछा कि आप कौन हैं? देवता ने अपना परिचय दिया और बोला – तुम चाहो तो मेरे साथ स्वर्ग चलो वहां तो दुःख का नामो – निशान भी नहीं है| वहां केवल सुख ही सुख है, आराम ही आराम है| वहां तुम्हारी पत्नी आ भी नहीं सकती और अब कभी पिटोगे भी नहीं| उसने तुरंत देवता के चरण पकड़े और कहा – प्रभु जल्दी ले चलो| इस जीवन से तो मरना ही अच्छा है लेकिन आप ने मुझ पर दया की है, मै आपके साथ इसी समय स्वर्ग चलूँगा| दोनों स्वर्ग पहुंचे| मुख्य द्वार से अन्दर जाते ही थोड़ी दूर पर एक अत्यंत सुन्दर उद्यान था| वह अत्यंत ही मोहक और सुनसान था| देवता बोले तुम यहाँ उद्यान में थोड़ी देर ठहरो मै तुम्हारे यहाँ रहने का प्रबंध करके आता हूँ| देवता अन्दर चले गए और वो व्यक्ति एक विशाल वृक्ष के नीचे लेट गया| बड़ा ही मनभावन लग रहा था और मंद सुगंधित वायु आनंद दे रही थी| लेटे – लेटे विचार आया कि काश कि यहाँ एक पलंग मिल जाता तो मजा आ जाता| बस इस विचार के आते ही वहां एक शानदार पलंग आ गया देखा कि उसपर बिस्तर नहीं है, सोचा कि इस पर बढ़िया सा बिस्तर भी लग जाए तो सोने का मजा आ जायेगा| बस तुरंत वह भी आ गया| उस पर लेट गया और विशेष आनंद आनंद की अनुभूति करने लगा| थोड़ी देर के बाद सोचा कि यहाँ तो कोई भी नहीं है ! काश कि 3 – 4 स्त्रियाँ आ जाती जो मेरे हाथ- पैर दबा देती पिटाई के कारण दर्द बहुत हो रहा है! बस तत्काल ही चार अत्यंत सुन्दर स्त्रियाँ आ गई और हाथ- पैर दबाने लगीं| उस समय उसके आनंद की सीमा न थी| बस थोड़ी देर ही उस आनंद को भोग पाया था कि पुनः मन में विचार आया कि यदि यह दृश्य मेरी पत्नी देख ले तो मेरा क्या हाल करेगी? इस विचार के आते ही उसकी पत्नी वहां आ गयी और झाडू से उसकी पिटाई करने लगी| इतने में देवता उसके रहने का प्रबंध करके उद्यान में आये और देखा कि यह दुर्भाग्यशाली पुरुष तो यहाँ भी पिट रहा है फिर उन्होंने जोर से चिल्लाकर कहा अरे मुर्ख! ये कल्प वृक्ष है यहाँ की हर कल्पना साकार हो जाती है| शीघ्र अपने विचार बदल और ये सोच कि तेरी पत्नी यहाँ नहीं आ सकती| वो तुझे नहीं पीट सकती| जल्दी ये विचार कर वरना तुझे पिटने से कोई नहीं बचा सकता|

कहानी सुनकर भाई साहब ने कहा अब मेरी समझ में आ गया कि “नकारात्मक” और “सकारात्मक” सोच क्या है ! फिर मैंने कहा – ये बात इतनी ही नहीं है! इसकी गहराई और भी है| ये संसार अपने आप में एक कल्पवृक्ष है| यहाँ की हर कल्पना साकार होती है समय जितना भी लग जाए किन्तु होती ज़रूर है| कभी – कभी तो इसे साकार होने में कुछ जन्मों का भी समय लग सकता है (इस बात का भले ही मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है) किन्तु साकार होंगी अवश्य| उन्नति का सीधा सबंध हमारी सोच से है| क्यों कि हमारी तो आदत हो गयी है यह कहने की कि “यार फेल हो गए तो”, “Interview में select नहीं हुए तो” “ हार गए तो” अरे भाई! ये सोच तो हमें कहीं का भी नहीं छोड़ेगी| मै फिर कहता हूँ – यदि संसार में पीटने से बचना है तो – be positive.

Contributor
Facebook
Twitter
LinkedIn

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *